Month: March 2024

हमारी राष्ट्रीय अस्मिता और भविष्य का नारी साहित्य

वैदिक काल से आज तक साहित्य की सभी विद्याओं में महिलाओं ने पुरूषों के समान अपनी सर्जनात्मक शक्ति का परिचय दिया है। विश्व इतिहास साक्षी है कि इस पुरूष समाज…

लैंगिक समानता: मिथक या यथार्थ

सारांश: प्रसिद्ध नारीवादी सिमोन द बुआ लिखती है कि पुरुष को मनुष्य के रूप में और स्त्री को स्त्री के रूप में परिभाषित किया जाता है। जब भी स्त्री मनुष्य…

बुनियादी सुविधाओं से बदलेगी भारत की तस्वीर

भारत की अधिकतर आबादी गांव में बसती है इसलिए भारत के विकास की संकल्पना को पूरा करने तथा विकसित राष्ट्र बनाने के लिए देश में बुनियादी सुविधाएं लोगों को प्रदान…

आजादी का अमृतकाल और नई शिक्षा नीति के बदलते परिदृश्य में निहितार्थ

भारत ने स्वतंत्रता के बाद से अमृतकाल तक एक अद्वितीय यात्रा तय की है। शिक्षा के क्षेत्र में भी विशेष रूप से महत्वपूर्ण परिवर्तन और विकास हुआ है। इस लेख…

समान नागरिक संहिता : व्यक्तिगत कानूनों पर समान नागरिक संहिता के प्रभाव

कानून और न्याय मंत्रालय ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया है कि न्यायालय संसद को कोई कानून बनाने का निर्देश नहीं दे सकता है और इसने देश में समान नागरिक संहिता…

महिलाओं के मानवाधिकार एवं तीन तलाक-वस्तुस्थिति

अथर्ववेद के इस श्लोक का हिन्दी रूपान्तर है कि जिस कुल में नारियों की पूजा अर्थात् सत्कार होता है, उस कुल में देवता निवास करते हैं, जहाँ पर ऐसा नहीं…

आध्यात्मिकता

शरीर में विद्यमान जो हंस वाणी के माध्यम से अपना आभास कराता है उसका चिंतन, मनन,ध्यान और उस हंस को उच्च सिंहासन पर बैठाने का प्रयास, उसे उर्ध्वमुखी करने का…

Highlights